tag:blogger.com,1999:blog-5022687826805061297.post4895493451281613798..comments2023-05-09T08:38:32.586-07:00Comments on कोई आवाज़ देता है - डॉ० कुअँर बेचैन: लोहे ने कब कहा ...डॉ० कुअँर बेचैनhttp://www.blogger.com/profile/17373790645369079314noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5022687826805061297.post-38383118294162261432009-09-16T06:49:36.348-07:002009-09-16T06:49:36.348-07:00डा. साहब.
"किया टूटने का अभिनय",
"...डा. साहब. <br />"किया टूटने का अभिनय", <br />"उन कमरों में बैठे<br />जिन पर ऋतु का<br />कोई असर नहीं पड़ता"<br />सुन्दर ! <br />कामायनी की तरफ जो संकेत वह भी सुन्दर ! <br />सादरShardulahttps://www.blogger.com/profile/14922626343510385773noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5022687826805061297.post-12352083268665646042009-03-03T07:05:00.000-08:002009-03-03T07:05:00.000-08:00बहुत ही अच्छी कविता लगी ..बहुत ही अच्छी कविता लगी ..सिटीजनhttps://www.blogger.com/profile/01026451368923702089noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5022687826805061297.post-60451500740285496352009-03-03T02:48:00.000-08:002009-03-03T02:48:00.000-08:00बहुत बढ़िया। बहुत सही।घुघूती बासूतीबहुत बढ़िया। बहुत सही।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5022687826805061297.post-91000970571413979962009-03-03T02:32:00.000-08:002009-03-03T02:32:00.000-08:00अच्छी रचना पढ़ने को मिली ... आभारअच्छी रचना पढ़ने को मिली ... आभारआशीष कुमार 'अंशु'https://www.blogger.com/profile/12024916196334773939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5022687826805061297.post-36572776245621185032009-03-03T01:34:00.000-08:002009-03-03T01:34:00.000-08:00हुई धूप में गर्मशिशिर में शीतल भीहै संवेदनशीलालोहे...हुई धूप में गर्म<BR/>शिशिर में शीतल भी<BR/>है संवेदनशीला<BR/>लोहे ही जड़ता<BR/>पर तुम जान-बूझ,<BR/>उन कमरों में बैठे<BR/>जिन पर ऋतु का<BR/>कोई असर नहीं पड़ता<BR/>bahut achhi lagi ye panktiyan bahut badhaiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5022687826805061297.post-31723985601925221372009-03-03T01:02:00.000-08:002009-03-03T01:02:00.000-08:00कुअर जी को नमस्कार, लोहे को कविता में पहले जब पढा ...कुअर जी को नमस्कार, लोहे को कविता में पहले जब पढा था तब भारती जी ने मेरे रक्तविंदवों पर ठंडा लोहा रखवा दिया था। वो ठंडा लोहा आज उतर गया, क्यों कि लोह ने कब कहा कि तुम मत गाओ..। साधुManjit Thakurhttps://www.blogger.com/profile/09765421125256479319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5022687826805061297.post-53724344047330102382009-03-03T00:47:00.000-08:002009-03-03T00:47:00.000-08:00लोहे ने कब कहाकि तुम रिश्ते तोड़ोतुम्हीं टूटने तक ...लोहे ने कब कहा<BR/>कि तुम रिश्ते तोड़ो<BR/>तुम्हीं टूटने तक धागों पर झूल गए।<BR/><BR/><BR/>वाह !!!! <BR/>आपको और आपकी लेखनी को नमन...शब्द और भाव आपकी लेखनी को छूकर सार्थक होते हैं....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5022687826805061297.post-86617476737208619472009-03-03T00:38:00.000-08:002009-03-03T00:38:00.000-08:00सर बहुत ही अच्छी कविता लगी । ये लाइनें खासकर-हुई ध...सर बहुत ही अच्छी कविता लगी । ये लाइनें खासकर-<BR/><BR/><BR/>हुई धूप में गर्म<BR/>शिशिर में शीतल भी<BR/>है संवेदनशीला<BR/>लोहे ही जड़ता<BR/>पर तुम जान-बूझ,<BR/>उन कमरों में बैठे<BR/>जिन पर ऋतु का<BR/>कोई असर नहीं पड़ताAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5022687826805061297.post-7379607618432301382009-03-03T00:23:00.000-08:002009-03-03T00:23:00.000-08:00मन आनन्दित हो गया. डॉक्टर साहब को प्रणाम!!मन आनन्दित हो गया. डॉक्टर साहब को प्रणाम!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com