वो लहरें कहाँ वो रवानी कहाँ है
बता ज़िन्दगी ज़िन्दगानी कहाँ है
ज़रा ढूँढिए इस धुँए के सफ़र में
हमारी-तुम्हारी कहानी कहाँ है
बड़ी देर से सोचते हैं कि आए
मगर अब हमें नींद आनी कहाँ है
बताएँ ज़रा उँगलियाँ पूछती हैं
हमारी पुरानी निशानी कहाँ है
फ़कीरी में है बादशाहत हमारी
न यह पूछिए राजधानी कहाँ
कुँअर
Saturday, April 17, 2010
वो लहरें कहाँ वो रवानी कहाँ है...
Posted by Dr.Bhawna Kunwar at 5:37 PM 16 comments
Monday, April 12, 2010
बड़ा उदास सफ़र है हमारे साथ रहो ..
बड़ा उदास सफ़र है हमारे साथ रहो
बस एक तुम पै नज़र है हमारे साथ रहो।
हम आज एक भटकते हुए मुसाफ़िर हैं
न कोई राह न घर है हमारे साथ रहो।
तुम्हें ही छाँव समझकर यहाँ चले आए
तुम्हारी गोद में सर है हमारे साथ रहो।
कहीं भी हमको डुबा देगी ये पता है हमें
हरेक साँस भँवर है हमारे साथ रहो।
हर इक चिराग़ धुँए में घिरा-घिरा है 'कुँअर'
बड़ा अजीब नगर है हमारे साथ रहो।
'कुँअर'
बस एक तुम पै नज़र है हमारे साथ रहो।
हम आज एक भटकते हुए मुसाफ़िर हैं
न कोई राह न घर है हमारे साथ रहो।
तुम्हें ही छाँव समझकर यहाँ चले आए
तुम्हारी गोद में सर है हमारे साथ रहो।
कहीं भी हमको डुबा देगी ये पता है हमें
हरेक साँस भँवर है हमारे साथ रहो।
हर इक चिराग़ धुँए में घिरा-घिरा है 'कुँअर'
बड़ा अजीब नगर है हमारे साथ रहो।
'कुँअर'
Posted by Dr.Bhawna Kunwar at 6:50 AM 9 comments
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