चल ततइया !
काट तन मोटी व्यवस्था का
जो धकेले जा रही है
देश का पइया !
चल ततइया !
छोड़ मीठा गुड़
तू वहाँ तक उड़
है जहाँ पर क़ैद पेटों में रुपइया !
चल ततइया !!
काट तन मोटी व्यवस्था का
जो धकेले जा रही है
देश का पइया !
चल ततइया !
छोड़ मीठा गुड़
तू वहाँ तक उड़
है जहाँ पर क़ैद पेटों में रुपइया !
चल ततइया !!
डंक कर पैना
चल बढ़ा सेना
थाम तुरही, छोड़कर मीठा पपइया !!
चल ततइया !!
चल बढ़ा सेना
थाम तुरही, छोड़कर मीठा पपइया !!
चल ततइया !!
डॉ० कुँअर बेचैन
3 comments:
बहुत सुन्दर और करारा कटाक्ष.
अति सुन्दर.
समीर जी और रविरतलामी जी आप दोनों का बहुत-बहुत शुक्रिया...
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