Friday, July 20, 2007

चल ततइया !



चल ततइया !


काट तन मोटी व्यवस्था का
जो धकेले जा रही है
देश का पइया !
चल ततइया !


छोड़ मीठा गुड़
तू वहाँ तक उड़


है जहाँ पर क़ैद पेटों में रुपइया !
चल ततइया !!

डंक कर पैना
चल बढ़ा सेना


थाम तुरही, छोड़कर मीठा पपइया !!
चल ततइया !!
डॉ० कुँअर बेचैन

3 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर और करारा कटाक्ष.

रवि रतलामी said...

अति सुन्दर.

Dr.Bhawna Kunwar said...

समीर जी और रविरतलामी जी आप दोनों का बहुत-बहुत शुक्रिया...