कैसी विडंबना है
जिस दिन ठिठुर रही थी
कुहरे-भरी नदी, माँ की उदास काया।
लानी थी गर्म चादर; मैं मेज़पोश लाया।
कैसा नशा चढ़ा है
यह आज़ टाइयों पर
आँखे तरेरती हैं
अपनी सुराहियों पर
मन से ना बाँध पाई रिश्तें गुलाब जैसे
ये राखियाँ बँधी हैं केवल कलाइयों पर
कैसी विडंबना है
जिस दिन मुझे पिता ने,
बैसाखियाँ हटाकर; बेटा कहा, बुलाया।
मैं अर्थ ढूँढ़ने को तब शब्दकोश लाया।
तहज़ीब की दवा को
जो रोग लग गया है
इंसान तक अभी तो
दो-चार डग गया है
जाने किसे-किसे यह अब राख में बदल दे
जो बर्फ़ को नदी में चंदन सुलग गया है
कैसी विडंबना है
इस सभ्यता-शिखर पर
मन में जमी बरफ़ ने इतना धुँआ उड़ाया।
लपटें न दी दिखाई; सारा शहर जलाया।
जिस दिन ठिठुर रही थी
कुहरे-भरी नदी, माँ की उदास काया।
लानी थी गर्म चादर; मैं मेज़पोश लाया।
कैसा नशा चढ़ा है
यह आज़ टाइयों पर
आँखे तरेरती हैं
अपनी सुराहियों पर
मन से ना बाँध पाई रिश्तें गुलाब जैसे
ये राखियाँ बँधी हैं केवल कलाइयों पर
कैसी विडंबना है
जिस दिन मुझे पिता ने,
बैसाखियाँ हटाकर; बेटा कहा, बुलाया।
मैं अर्थ ढूँढ़ने को तब शब्दकोश लाया।
तहज़ीब की दवा को
जो रोग लग गया है
इंसान तक अभी तो
दो-चार डग गया है
जाने किसे-किसे यह अब राख में बदल दे
जो बर्फ़ को नदी में चंदन सुलग गया है
कैसी विडंबना है
इस सभ्यता-शिखर पर
मन में जमी बरफ़ ने इतना धुँआ उड़ाया।
लपटें न दी दिखाई; सारा शहर जलाया।
कुँअर बेचैन
9 comments:
बहुत सुंदर, बहुत मार्मिक !
घुघूती बासूती
कैसी विडंबना है
इस सभ्यता-शिखर पर
मन में जमी बरफ़ ने इतना धुँआ उड़ाया।
लपटें न दी दिखाई; सारा शहर जलाया।
क्या कहूँ....आपकी रचनाएँ ऐसे झकझोरती हैं कि सारे शब्दों को पाला मार जाता है.
जिस दिन ठिठुर रही थी
कुहरे-भरी नदी, माँ की उदास काया।
लानी थी गर्म चादर; मैं मेज़पोश लाया।
bahut hi sanvedanshil...!
बहुत अच्छा...;;
निशब्द टिप्पणी क्योंकि मैं इतना सक्षम नही की सूर्य को दिया दिखा सकू
ऑंखें खोलदेनेवाली रचना।
जब मैं गाजियाबाद में पढाई करता था तो रामलीला मैदान के कवि सम्मेलन में आपकी कविताएँ सुनने के लिए दिसम्बर की ठंढ में भी देर रात तक खडा रहा करता था | यह कविता पढ़कर वो दिन फ़िर से याद आ गए |
कुँवर जी,आज पहली बार आपके ब्लाग पर आई...कई रचनाएं पढी सभी तारीफ के लायक हैं ...
आपकी इस रचना ने युवाओं को सीख दी है-
कैसी विडंबना है
जिस दिन ठिठुर रही थी
कुहरे-भरी नदी, माँ की उदास काया।
लानी थी गर्म चादर; मैं मेज़पोश लाया।
वाह....!
Kya bhav hai , aur bimisal bimb. Man anubhutuyon se bhar gaya. Blog ki duniya me apki rachnao ko pakar man prasan ho gaya. Blog ki duniya me navaganuk hu. Please kabhi mere blog par aakar rachnao me sudhar ke liye sujhaw dijiye. Mai apki aabhari rahungi
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